सबसे पुरानी मोहयाल सभा द्राबा (जेएंडके) जिसके दस्तावेजों से मिली जानकारी: पुनीत दत्ता

विभाजन से पहले 1940( विक्रमी वर्ष 1996) के मोहयाल सभा द्राबा(पुंछ) जेएंडके के एक बहुत पुराने/प्राचीन दस्तावेजों का उल्लेख बख्शी संसार चंद दत्ता की अध्यक्षता मे किया गया हैं जिसमें द्राबा के 28 सदस्यों द्वारा उर्दू में एक बैठक आयोजित की हैं( हस्ताक्षर का उल्लेख किया गया है) जिसमें संयुक्त रूप से निर्णय लिया गया […]

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पीर पंचाल की पहाड़ियों में बसा मोहयाल गांव द्राबा : पुनीत दत्ता

जम्मू कश्मीर की खूबसूरत पीर पंचाल की पहाड़ियों में बसा छोटा सा गांव द्राबा हैं इस गांव में मोहयाल बडी संख्या में रहते हैं। इस गांव के इतिहास को जानने की मेरी जिज्ञासा को कलमबद्ध करनें के आग्रह को स्वीकारते हुए द्राबा के पुनीत दत्ता सहायक अभियंता AE ने विस्तार से लिखा है। … धन्यवाद […]

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विभाजन विभीषिका : 1947 के भारत विभाजन की पीडाओं की यादें …

1947 के भारत विभाजन की पीडाओं की यादें घर जमीदारी सब कुछ छुट गया पर हौसले और कडी मेहनत के बल से खडीं की बुलंदी की इमारत.. पीके दत्ता गुरूग्राम :- पीके दत्ता मेडीसिन उद्योग जगत की पहचान जिन्होंने विभाजन विभीषिका के बाद कडी मेहनत और हौसले के दम पर बुलंदी पर पहुंच कर मानवता […]

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इतिहास के पन्नों से: स्वतंत्रता सेनानी वैद्य ओमप्रकाश दत्ता तथा वीर बालक चुन्नीलाल

वीर बालक चुन्नीलाल दत्ता मोहयाल मोहयाल मोहल्ले लौहर का रहने वाला था जो वैद्य ओम प्रकाश दत्त तथा अन्य क्रांतिकारियों में काफी प्रिय था। बालक चुन्नी लाल अपनी कैंची साईकिल से सख्त नाके से आराम से निकल जाता था। एक बार पौलीस को स्टीक सूचना थी कि गुप्ता जी के घर पर विस्फोटक सामग्री जमा […]

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मोहयाल भारतीय मूल के है विदेशी नहीं: शरद छिब्बर

मेरे स्वर्गीय दादा श्री गोवर्धन दास छिब्बर की एक पुरानी डेयरी में मोहयाल समुदाय के बारे इस प्रकार लिखा है…शरद छिब्बर पंचकूला एक घनी आबादी वाला समुदाय – मोहयाल एक घट गिनती और घनी आबादी वाला समुदाय (बिरादरी) हैं। वे अधिकतर पंजाब के पश्चिमी जिलों में रहते थे जो अब पाकिस्तान में है। और उन […]

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लाहौर से जुड़ी मोहयालों की यादें : पवन दत्ता

लाहौर भगवान श्री राम जी के पुत्र लव द्वारा बसाया गया शहर, शहर मे जो इमारतें थी उसमें 60 % के स्वामी हिन्दू और सिख थे । इस प्रकार छोटे -बडे कारखानों के मालिक भी हिन्दू -सिख थे । लाहौर शैक्षणिक दृष्टि से भी अत्यन्त प्रगति वाला नगर था तथा लाहौर की शैक्षणिक, व्यापारिक व […]

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अपनी सजगता से सुरक्षित भारत पहुंचे : पेशावर के वीर

सीमा प्रांत पेशावर एक बहुत सुन्दर शहर था पेशावर का पुराना नाम पोरस पुर था जो बाद मे पेशावर के नाम से प्रचलन मे आया इसे पंच नंद नरेश पोरस ने चाणक्य कि सलाह पर एक सैनिक छावनी के रूप मे विकसित किया ताकि खैबर पार से आने वाले आक्रमण कारियों पर नजर रखी जा […]

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हम सभी मोहयालों को जानना जरूरी हैं : पवन दत्ता

हम सभी मोहयालों को जानना जरूरी है कैसे हमारे दादा दादी, माता-पिता प्रतिकूल परिस्थितियों को झेलते। हुऐ हिन्दूसतान पहुंचे । रावलपिंडी नगर कि स्थापना राजपूत राजा बप्पा रावल ने कि थी रावल राजपूत के कारण इस नगर कि नाम रावलपिंडी पड़ा यहां के हर नागरिक को सम्मान से बप्पा जी कहते थे जो बाद मे […]

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हिन्दू महासभा के संस्थापक : भाई परमानन्द

देवता स्वरूप भाई परमानन्द जी प्रसिद्ध हिन्दू नेता थे उनके पुत्र डॉ भाई महावीर जी जो बाद मे मध्यप्रदेश के राज्यपाल भी बने वे भी लाहौर के प्रमुख कार्यकर्ता मे से एक थे भाई महावीर जी हिन्दू महासभा के संस्थापक भी थे । हिन्दू अखबार धर्मवीर जी का था तथा वे ही उसके सम्पादक थे […]

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हमें अपने मोहयाली विरसे पर गर्व है : पवन दत्ता

शेखूपुरा नगर लाहौर से 23मील आगे है नगर कि जनसंख्या मे80%हिनदू थे पर ग्रामीण क्षेत्र पर मुस्लिम आबादी ज्यादा थी रावी और जेहलम के बीच की भूमि बहुत उपजाऊ थी जब भी लाहौर के क्रान्तिकारीयो पर पुलिस का दबाव बढ़ता तो वे शेखूपुरा आ जाते शेखूपुरा सिंह सभा गुरुद्वारे के प्रधान सरदार बख्शी चन्द्रमा सिंह […]

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