अपनी सजगता से सुरक्षित भारत पहुंचे : पेशावर के वीर

बोलती तस्वीरे/ यादें
Spread the love

सीमा प्रांत पेशावर एक बहुत सुन्दर शहर था पेशावर का पुराना नाम पोरस पुर था जो बाद मे पेशावर के नाम से प्रचलन मे आया इसे पंच नंद नरेश पोरस ने चाणक्य कि सलाह पर एक सैनिक छावनी के रूप मे विकसित किया ताकि खैबर पार से आने वाले आक्रमण कारियों पर नजर रखी जा सके ।
पेशावर मे मोहयाल काफी संख्या मे थे और उनका आर्थिक , शैक्षणिक व सामाजिक जीवन मे प्रमुख स्थान था, अपितु शारीरिक शक्ति कि द्रष्टि से भी वे पठानों से कम नहीं थे तथा सम्मान का जीवन व्यतीत करते थे
पेशावर के हिन्दू अपनी सुरक्षा की दृष्टि से जागरूक भी थे और संगठित भी सीमांत प्रांत मे मुस्लिम मताधता उतनी उग्र नहीं थी जितनी पंजाब मे और पख़्तून पाकिस्तान विरोधी थे और उन पर सीमांत गांधी अब्दुल गफ्फार खान से प्रभावित थे ।
पेशावर के लोग लम्बे ऊंचे कद के तथा काफी गोरे रंग के होते थे तथा ज्यादा तर बिल्लौरी आंखों वाले थे आज़ाद भारत के प्रमुख सिनेमा नायक कपूर परिवार, दिलीप कुमार तथा विनोद खन्ना भी पेशावर से थे मेरी दादी जी भी पेशावर की थी मेरे चाचा अशोक कुमार दत्ता जो आल इंडिया रेडियो से सेवा निवृत्त होकर पंचकूला मे रह रहे है कि जन्म भी पेशावर मे हुआ था ।
अपनी सजगता के कारण वहां कोई ज्यादा नुक्सान नहीं झेलना पड़ा पेशावर शहर चारदीवारी से घिरा था तथा बाहर से हमला नहीं किया जा सकता था जैसे रावलपिंडी तथा अन्य शहरों मे हुआ पेशावर के लोग गोरखा रेजीमेंट कि मदद से झेलम के वाह कैम्प तक सुरक्षित पहुंचे तथा वहां से हिन्दू स्थान और कुछ खैबर पार करके अफ्रीका तथा यूरोप चले गए पेशावर के नागरिकों की सूझबूझ तथा सजगता कि दाद देनी पड़ेगी कि सबसे दूर होते हुए भी बहुत कम नुकसान विभाजन का झेला ।

                                         अपनी सजगता से सुरक्षित भारत पहुंचे पेशावर के वीर ,आज भी अपने आपको पैशोरी कहने पर गर्व करते हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published.