1947 के भारत विभाजन की पीडाओं की यादें घर जमीदारी सब कुछ छुट गया पर हौसले और कडी मेहनत के बल से खडीं की बुलंदी की इमारत.. पीके दत्ता
गुरूग्राम :- पीके दत्ता मेडीसिन उद्योग जगत की पहचान जिन्होंने विभाजन विभीषिका के बाद कडी मेहनत और हौसले के दम पर बुलंदी पर पहुंच कर मानवता की सेवा के साथ मोहयाल समुदाय के लिए जो कार्य किये और कर रहें है वह मिसाल हैं।
दत्ता जी बताते हैं विभाजन के बाद उनकी आयु एक साल की थी। पिता जी अंबाला आकर बस गए पाकिस्तान में हमारी 50 एकड़ जमीन थी। पिता जी भारत आने के बाद पंजाब सरकार के श्रम विभाग में नौकरी की अलग से हरियाणा राज्य बनने के बाद हरियाणा सरकार मे आगये। हरियाणा सरकार में अंडर सैकेट्री के पद से सेवानिवृत्त हुए।
इस बीच पीके दत्ता ने सिस्टोपिक लैबोरेटरीज (Systopic Lab.) नामक कंपनी की शुरुआत कुछ लोगों को लेकर बनाई आज कंपनी में लगभग 1200 सौ लोग कंपनी में काम कर रहें हैं। बैगलुरू और हैदराबाद में कंपनी के कई प्लांट चल रहे हैं। मेडिसिन जगत में दत्ता जी की विशेष पहचान है।
विभाजन के बाद कई रिश्तेदार हिंसा के शिकार हो गए जो सकुशल भारत पहूंचे उन्होंने कडी मेहनत से अपने आप को पुनः स्थापित किया। दत्ता जी ने बताया उन्होंने नौकरी करने की बजाय बिजनेस को मुनासिब समझा ।वह रोजगार मांगना नही रोजगार देना चाहते थे। आज दत्ता जी सैकड़ो लोगों को रोजगार दे रहें हैं। दत्ता जी के पिता ने चंडीगढ़ में लगभग 25 लाख जमा कराकर संनातन मंदिर का निर्माण कराया था।
धार्मिक और समाजिक कार्यों में बढ चढकर सहयोग देने का जज्बा पिता जी से विरासत में मिला। आज दत्ता जी जरूरतमंद लोगों की आर्थिक सहायता करने से पीछे नहीं हटते। समाजिक कार्यों और मोहयाल समुदाय के हर कार्य में दिल खोल कर सहयोग करतें हैं । हाल ही में मोहयाल आश्रम हरिद्वार में तीसरी मंजिल में एक ब्लॉक का निर्माण आपनी पत्नी और अपने पूर्वजों के नाम पर करवाया जिसे 11अगस्त को मोहयाल समुदाय को समर्पित किया।
प्रस्तुति.. अशोक दत्ता