हरिद्वार (15 मई 2025)- देवभूमि हरिद्वार में स्थित मोहयाल आश्रम केवल एक विश्राम स्थल नहीं, बल्कि श्रद्धा, अध्यात्म और आत्मिक शांति का केन्द्र बन चुका है। यहां आने वाले प्रत्येक यात्री को जहां अध्यात्मिक ऊर्जा की अनुभूति होती है, वहीं आश्रम का शांत वातावरण मन को भी सुकून देता है।
हाल ही में तीन दिन का प्रवास दीदी, जीजा जी, भांजों और बेटे के साथ आश्रम में व्यतीत किया। यह अनुभव अत्यंत आत्मिक और सुकूनदायक रहा। आश्रम में रहने के दौरान यह महसूस हुआ कि यहां का प्रबंधन न केवल अनुशासित है, बल्कि यात्रियों के प्रति पूरी तरह समर्पित भी है।
आश्रम की प्रबंधक श्रीमती ईशा जी विशेष रूप से प्रशंसा की पात्र हैं, जो यहां आने वाले प्रत्येक यात्री की सुविधाओं और समस्याओं का गंभीरता से संज्ञान लेकर तत्परता से समाधान करती हैं। आश्रम के स्टाफ का सहयोगी व्यवहार और भोजन/लंगर की उत्कृष्ट व्यवस्था भी अनुकरणीय है।
प्रवास के दौरान आश्रम की बेहतरी हेतु कुछ सुझाव ईशा जी के समक्ष रखे गए, जिन्हें उन्होंने सकारात्मकता से स्वीकार करते हुए शीघ्र अमल में लाने का आश्वासन दिया। उनका यह दृष्टिकोण सराहनीय है कि हर यात्री यहां से न केवल संतोष के साथ विदा हो, बल्कि आश्रम की पवित्र स्मृतियों को हृदय में संजोकर ले जाए।
मोहयाल आश्रम हरिद्वार वास्तव में वह स्थान है जहाँ आस्था और सेवा एक साथ निवास करती हैं।
डा.अजय दत्ता..(आश्रम मे प्रवास 10 जून से 13 जून 2025)