राम जन्मभूमि अयोध्या की कारसेवा में अनेक मोहयाल भाई बहनों ने बढचढकर भाग लिया जालंधर मोहयाल सभा के प्रधान नंद लाल वैद के पुत्र मुकेश वैद ने 1990 के राम जन्मभूमि आंदोलन संघर्ष का हिस्सा बने।उस वक्त मात्र सोलह सत्तरह साल की उम्र होगी ।उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा विशेष ट्रेन से अयोध्या प्रभु रामलला के दर्शनों के लिए चयन करते हुए निमंत्रण मिला। बीते दिनों संघ की विशेष बैठक के उपरांत मुकेश वैद ने विस्तार से बताया कैसे राम मंदिर कारसेवा के लिए प्रेरित हुआ और पिता जी का आर्शीवाद मिला:-
बात 1990 की है। हम आदर्श नगर मे रहतें थे वहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा लगती थी में नियमित तौर पर जाया करता था। यहां से मुझे राष्ट्र सेवा और धर्म के प्रति समर्पित की भावना और संस्कार मिलें।
राम जन्मभूमि आंदोलन के बारे बताया गया ,मैने भी आंदोलन का हिस्सा बनने की बात की तो मेरे पिता जी की स्वीकृति के लिए मेरे साथी मित्र हमारे घर आयें उन्होंने रामकाज की बात कहीं तो पिता जी ने सहर्ष स्वीकृति के साथ आर्शीवाद दिया।
जय श्रीराम के जै कारें के साथ ट्रेन से लखनऊ चल दिये।लखनऊ स्टेशन पर रामभक्त कारसेवकों की धरपकड़ शुरू हो गई । हम सभी ग्यारह रामभक्त कारसेवकों को गिरफ्तार कर लिया गया। रामभक्तों से सभी जेलें भर चुकी थी। हमें गौंडा के एक स्कूल में बंद कर दिया गया।
रात एक दो बजे हम सभी स्कूल की दिवार फांदकर भाग निकले।रात अंधेरी और अंजान रास्तों से गांव की पगडंडियों से छुपते छुपाते एक गांव में पहुंच कर अपना परिचय कारसेवक का दिया तो लोगों ने सरपंच से मिला दिया। सरपंच हिंदू था उसनें हमारे रात्रि विश्राम और भोजन की व्यवस्था करते
कहा एक मुस्लिम कार सेवा के लिए जा रहा हैं आप सभी उसके पास रूक जाऐ वह सुबह आपको साथ ले जाऐगा। हमें भय था वह हमें गिरफ्तार न करवा दे।हम सभी के मन में आया ” जो प्रभु राम की इच्छा” प्रभु राम की इच्छा से वह मुस्लिम भाई सरयू तक और सरयू नदी से नाव द्वारा पार करवा रहा था तो हमने देखा बडी संख्या में सांप तैर रहें थें।
जब हम नदी पार करके अयोध्या दाखिल हुए तो हमारे पीछे जो राम भक्त आ रहें थें उन पर पुलिस ने गोलियां चला दी बडी संख्या में रामभक्त कारसेवक सरयू नदी में बह गये। उस समय जो दृष्य हमने देखे उसे बताते हुए दिल कांपने लगता हैं।
हनुमानगढ़ी पहुंचकर बडी खुशी अनुभव हुई। बडी संख्या में रामभक्त कारसेवक पहुंच चुके थें।
कुछ समय पश्चात शांतमय रामभक्तों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे गए। निहत्थे रामभक्तों पर फायरिंग शुरू कर दी गई । बडी संख्या में बेगुनाहों को मौत की नींद सुला दिया गया ।आंदोलन को दबाने के लिए पुलिसकर्मियों द्वारा बडी सख्ती बरती गई । सभी रामभक्तों ने अब वापिस लौटना मुनासिब समझा।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद राम जन्मभूमि पर मंदिर बनने का रास्ता साफ हुआ। भव्य मंदिर का निर्माण हुआ । इस खुशी को शब्दों से ब्यान नहीं किया जा सकता। अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूं जिस रामकाज आंदोलन का हिस्सा बना उस सपने को साकार होते हुए देख रहा हूं । आज उन सभी रामभक्त कारसेवकों की आत्मा प्रसन्न होगी जो जीवित रहतें हुए यह शुभ दिन देख नहीं सकें ।
प्रस्तुति: अशोक दत्ता
मुकेश वैद ने जैसा हमें बताया।
