माँ का संदूक

साहित्य जगत
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मेरी माँ के संदूक मे
एक खजाना है यादों का
बडके की पैंट का लाल बटन
छुटके की शाला का नंबर कार्ड
मझली बहुरिया की बिंदिया का पता
और अपनी पुरानी  फोटु का एक टुकड़ा
मेरी माँ के संदूक मे
एक खजाना है यादों का ।।

उनकी पेंशन और मृत्यु पंजीकरण का कागद
बिटिया की शादी का कार्ड व बिल
नन्हे के हाथो की छोटी मुंदरी
गुडिया के पैरों की झुनकती एक पायल
सुख  दुख के टुकड़ो मे बटा लंबा जीवन
मेरी माँ के संदूक मे
एक खजाना है यादों का ।।
अपनी अम्मा के हाथो बनी
बहुत पुरानी खेसल का टुकड़ा
मखमल की गुत्थी मे पुराने
गिट्टे, ऊन,डोरे, एवं सुए सिलाईयाँ
बुनती है यादें, सीती फटे रिशते
बनाती अदृश्य ऊन के छोटे -छोटे मोजे
सूखे चेहरे पर गीली सी आँखे
मेरी माँ के संदूक मे
एक खजाना है यादों का ।।

संदूक की अखबार के नीचे
जिंदगी के हिसाब किताब की
फटी पुरानी कापी पर अनेको आँँकडे
जमा घटा,जोड बाकी अपने तरीकें के
रखती है हिसाब इस असार संसार का
पाती है हिम्मत संदूक के ऊपर लिखे
अपने बाबा के नाम से
मेरी माँ के संदूक मे
एक खजाना है यादों का।।

थके हारे चेहरे पर रूठी सी मुस्कान
झुर्रियां भरे हाथों की बीटी
कुछ घुंघरू बेआवाज़ और सिक्के खनकदार
दिखाती है धूप ,निकलती हैं टीसें
समझाती है दिल को ,दे कर आशीषें
मेरी माँ के संदूक मे
एक खजाना है यादों का ।

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