कन्या

साहित्य जगत
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उड़ना है आसमान में मुझे
खुल के पंखों को फैलाना है।
जी भर के जीना है,
अपने सपनों को सजाना है।
रोते हुए आऊँगी पर,मुस्कुराहटे फैलाने
खुशियों से भर दूँगी  आँगन
जीवन लगेगा जगमगाने
मत रोको मेरी साँसों को
चलने   दो  इन्हें।।1।।
बेटी हूँ मैं
बोझ मत समझो मुझे
लक्ष्मी का स्वरूप हूँ
किस्मत से घर आऊँगी
ईश्वर का वरदान हूँ।
श्राप मत समझो मुझे
मत रोको मेरी सांसो को
चलने दो इन्हें।।2।।
स्नेह का प्रतीक हूँ
त्याग मेरा धर्म
ममता की कोई कमी नही
मेरा तो जीवन ही एक कर्म
इस एक जीवन ही में मैं
सौ जीवन जी जाऊँगी
मत रोको मेरी साँसो को
चलने दो इन्हें।।3।।
रोक दिया जो इन साँसो को
कभी ना फिर जी पाऊँगी
खिलने से पहले ही मैं
कोख में मर जाऊँगी
मौत ऐसी कोई मातम भी ना मनाएगा
नन्हा सा सपना टूट ,के बिखर जाएगा
आने दो संसार में
लाने दो उजियारे मुझे
मत रोको मेरी साँसों को
बस चलने दो इन्हें।।4।।

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