घर के झरोखे से

साहित्य जगत
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मेरे घर के झरोखे से दिखती है जिंदगी
गली में खेलते बच्चों में
सुख ढूंढ़ते बुढ़ापे में
गोद में सोते बच्चों में।
मौज में मस्त जवानी में
..    मेरे घर के झरोखे से दिखती है जिंदगी।।
जगमगाते शहर की रोशनी में
.बादलों से छाए अँधेरे में
बारिश की गिरती बूँदों में
कड़कती धूप के उजियारे में
मेरे घर के झरोखे से दिखती है जिंदगी ।।
गाड़ियों के शोर -शराबे में
इमारतों की ऊँचाइयों में
चहकती चिड़ीया की उड़ान में
पेड़ों की ठंडी छाँव मे
मेरे घर के झरोखे से दिखती है जिंदगी।।
सूरज की पहली किरण में
ढ़लती शाम के नजारे में
चाँद की मध्यम रोशनी में
गुमसुम रात के सन्नाटे में
मेरे घर के झरोखे से दिखती है जिंदगी ।।

मौलिक और स्वरचित है

आकांक्षा दता

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