डा.अशोक लव की नई कविता.. अकेले पर्वत

साहित्य जगत
Spread the love

अकेले पर्वत
………डा.अशोक लव
सहते हैं बर्फीली शीत
तीव्र अंधड़
कंपाते भूकंप,
निहारते हैं निरंतर
आकाश को,
नहीं आने देते निकट
निराशाएं।
पर्वतों के वक्षस्थलों पर
अंकित चिन्ह हैं
जीवंत गाथाएं
उनके संघर्षों की।
बहुत भले लगते हैं
एकांत में
एकांत को जीते
पर्वत!

Leave a Reply

Your email address will not be published.