देवता स्वरूप भाई परमानन्द जी प्रसिद्ध हिन्दू नेता थे उनके पुत्र डॉ भाई महावीर जी जो बाद मे मध्यप्रदेश के राज्यपाल भी बने वे भी लाहौर के प्रमुख कार्यकर्ता मे से एक थे भाई महावीर जी हिन्दू महासभा के संस्थापक भी थे ।
हिन्दू अखबार धर्मवीर जी का था तथा वे ही उसके सम्पादक थे वे भाई जी के बहनोई थे हिन्दू पत्र मे बख्शी हरिगोपाल नाम का कर्मचारी काम करता था चारों और संकट गहराता देख उसने महावीर जी की बुआ से कहा आप अपना सारा मूल्यवान सामान मुझे देदो मे अपने घर जो चडदे पंजाब मे था सुरक्षित पहुंचा दूंगा अगर लाहौर न भी छोड़ना पड़े तो वापिस ला दूंगा बहन जी ने दो ट्रकों मे मूल्य वान समान और गहने आदि भरकर तैयार कर दिये जब इस बात का पता भाई परमानन्द जी को लगा तो उन्होंने स्पष्ट मना कर दिया । और कहा हम संघ के लोग जनता से आग्रह कर रहे है कि लाहौर मत छोडो हम अपना समान भेजेंगे तो समाज मे गलत संदेश जाएगा संघ की साख गिर जाएगी और हिन्दू समाज का मनोबल टूट जाएगा कहकर भाई जी ने सामान न जाने दिया परिणामस्वरूप जब आना पड़ा तो खाली हाथ ही आ पाए ।
” ऐसे अनेक उदाहरण है वीर मोहयालो के ”