स्वर्गीय गीतकार आनंद बख़्शी ने वैसे तो हर तरह के गीत लिखे परन्तु सावन शब्द पर उन्होंने अनेकों सुपर हीट गीत लिखे उनका जन्म भी सावन मे हुवा यह भी कारण हो सकता है
उनके सदाबहार सावन के गीतों में फिल्म मिलन का गीत लताजी और मुकेश का गाया” सावन का महिना पवन करे सौर,” किशोर कुमार का गाया फिल्म अमर प्रेम का गीत “चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाए ” रफी और लता जी का फिल्म मेरा गांव मेरा देश का गीत ” कुछ कहता है ये सावन ” फिल्म चुपके चुपके का लताजी का गीत ” अब के सजन सावन में ” फिल्म अनजना का लता ओर रफी का गीत “रिमजिम के गीत सावन गए” फिल्म जीवन मृत्यु का सदाबहार गीत “झिलमिल सितारों का आंगन होगा रिमझिम बरसता सवानावहीगा”आया सावन झुमके फिल्म का टाइटल गीत जैसे अनेकों गीत की बौछार आनंद बक्शी ने लगाई है ।वैसे वो जनता की आम जुबान के गीतकार थे। उनका दार्शनिक अंदाज भी उल्लेखनीय है फिल्म अमरप्रेम के सभी गीत विशेस रुप से ” कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना” आज भी कई संदर्भों में लोग उपयोग करते है। फिल्म आपकी कसम का गीत ” जिंदगी के सफर में गुजर जाते है जो मकाम वो फिर नहीं आते ” जीवन की वास्तविकता से जुड़ा है। इसी तरह फिल्म पिया का घर मैं किशोर कुमार ने “ये जीवन है इस जीवन यही रूप
थोड़े गम है थोड़ी खुशियां ” मुंबई के माध्यम परिवार के भावुक चित्रण को दर्शाता हैं फिल्म अमृत मै मोहम्मद अजीज ने बक्शीजी का दार्शनिक अंदाज ” दुनिया मैं कितना गम है मेरा गम कितना कम है लोगों का गम देखा तो अपना हम भूल गया” बड़ी शिद्दत से गया।
आनंद बक्शी के रोमांस के गीतों की सूची हजारों में है आज भी रेडियो पर हर तीसरा चोथा गीत आनंदबक्षी का सुनने को मिलता है 640 फिल्मों मै 3500 से भी अधिक गीत रचे जिसमे 302 फिल्मे संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के संगीत से सजे जो रिकॉर्ड हैं। सुभाष घई के चाहते गीतकार आनंद बक्शी रहे उन्होंने खलनायक, कर्मा , परदेश, रामलखन, ताल, विधाता एवम अनेक फिल्मों मैं सुपर हिट गीत लिखे ।
यह चोपड़ा जी ने चांदनी ,डर, दिल तो पागल है ,दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे और मोहबत्ते जैसी रोमांस की फिल्मों में यादगार गीत लिखे। जे ओमप्रकाश , मनमोहन देसाई , शक्ति सामंत और मोहनकुमार की अधिकांश फिल्मों के गीत बक्शी जी ने लिखें।
आनंद बक्शी जी को 4 बार फिल्मफेयर अवार्ड मिले जबकि 40 बार रिकॉर्ड नॉमिनेशन बक्शी जी के गीतों का हुवा था। उनके सर्वाधिक गीतो पर संगीतकार, गायक गायिका को फिल्म फेयर अवार्ड मिले हैं
आनंदबक्शी 21 जुलाई 1930 मैं अविभाजित भारत के रावलपिंडी ( अब पाकिस्तान) में जन्मे यह संजोग है की स्वर्गीय कवि गीतकार शैलेन्द्र भी रावलपिंडी में जन्मे थे। आनंद बक्शी जी सेना की नौकरी छोड़कर मुबई आए और अनेक संकटों के बाद ” जब जब फूल खिले” की अपार सफलता ने उन्हें स्थाई गीतकार बना
दिया बक्शीजी ने सबसे अधिक संगीतकारों के साथ गीतलेखन किया। 30 मार्च 2002 को हजारों मधुर गीत देकर वो हमसे जुदा हो गए।
