जेहलम (वितस्ता नदी) काश्मीर से निकल कर नीलम घाटी से गुजरते हुए मीरपुर को पार कर जब मैदानी क्षेत्र पर आतीं है तो उसके किनारे जो पहला नगर आता है वो है जेहलम यही पर पंच नंद नरेश पोरस का था जिन्होंने अपने सेनापति रवि दत्त के साथ मिलकर सिकन्दर के साथ ऐतिहासिक युद्ध किया तथा नाको चने चबाएं तथा वापिस बेबीलोनिया जाने को विवश किया ।
जेहलम मे मोहयालो कि संख्या बहुत थी जो काश्त कार थे खेती के साथ साथ सैनिक भी थे जेहलम जिले से न केवल उच्च कोटि के सैनिक ही नहीं दिये बल्कि उच्च कोटि के कलाकार तथा लेखक भी दिये मोहयालो कि शान सुनील दत्त जी भी जेहलम के खुर्द गांव के रहने वाले थे जहां पर उनके पिता रघुनाथ दत्त जी जमीनदार थे ।
लेखक खुशवंत सिंह चित्र कार अमृता शेरगिल और कवयित्री अमृता प्रीतम जी का सम्बन्ध भी झेलम से था इसके अतिरिक्त भारतीय सेना को बहुत वीर अफसर दिये ।
आजाद भारत को तीन प्रधानमंत्री भी जिला जेहलम ने दिये श्री गुलज़ारीलाल नंदा, इन्द्र कुमार गुजराल तथा डॉ मनमोहन सिंह जी भी जेहलम के थे ।
विभाजन कि बहुत मार भी जिला जेहलम ने झेली मुसलमान जो ज्यादा तर मुजारे थे ने काफी लूटपाट कि जेहलम के पास जाता और वाह मे कैम्प बनाए गए जहां पर रावलपिंडी और पेशावर से आए हिन्दू सिक्खों को रखा गया था पिंड दादनखा से तीन रेलगाड़ियां से भारत रवाना किया दो तो सकुशल भारत पहुंच गई पर तीसरी गाड़ी को कामोकी स्टेशन पर रोक कर काट दिया जिस पर पेशावर के रहने वाले थे और काफी संख्या मे मोहयाल थे ।
स्वतंत्रता सेनानी वैद्य ओमप्रकाश दत्ता झेहलम के गांव हरपुर के रहने वाले थे।
26 वर्ष की आयु में फांसी को चूमने वाले भाई बाल मुकुंद छिब्बर का नाम उल्लेखनीय हैं ।
विभाजन के पश्चात केदारनाथ दत्ता जोकि झेहलम के थे वह रेल विभाग (फिरोजपुर) में लोको विभाग में अधिकारी थे उन्होंने पाकिस्तान से आ रहे मोहयालों की आर्थिक सहायता के साथ साथ युवा मोहयालों को लोको विभाग में भर्ती किया वह सभी मोहयाल उच्च पदों से सेवा निवृत्त हुए उनके छोटे भाई वैद प्रकाश दत्ता जोकि स्टेशन मास्टर थे उन्होंने भी युवा मोहयालों को रेलवे में भर्ती किया था । झेहलम के ही विश्वामित्र दत्ता अखिल भारतीय कुश्ती ऐसोसियेशन के अध्यक्ष रहें आजकल जालंधर में रह रहें हैं।
स्वतंत्रता सेनानी वैद्य ओमप्रकाश दत्ता के छोटे भाई सुरज प्रकाश दत्ता राष्ट्र स्वंयसेवक संघ को समर्पित रहे जो भी संघ ने जिम्मेदारी दी उसे बाखुबी निभाया विभाजन के बाद जालंधर के संघ कार्यालय (पीली कोठी) के इंचार्ज रहते हुए । राष्ट्र स्वंयसेवक संघ द्वारा दशहरा पर्व पर शस्त्र पूजन और नगर मे निकाली जाने वाली परेड का नेतृत्व बैड के साथ करते ( दत्ता जी बैंड के इंर्चाज भी थे)
अंत पर यही कहूंगा झेहलम के उसपार के जो भी मोहयाल पैदा किया उच्च कोटि का किया उसनें भारतीय इतिहास में अपना और अपनी कौम का नाम स्थापित किया
Feeling proud and grateful Pawan Dutt Ji for enriching Mohyals Jai Mohyals