स्वतंत्रता सेनानी शहीदेआजम सरदार भगत सिंह के क्रांतिकारी साथी वैद ओम प्रकाश दत्त का जन्म 6 सितंबर 1916 को जिला झेहलम के गांव हरनपुर पश्चिमी पाकिस्तान में हुआ था।
वैद्य ओम प्रकाश दत्त ने स्वतंत्रता संग्राम में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अग्रेज सरकार उन्हे अत्यंत खतरनाक मानती थीऔर उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 436/307 के अन्तर्गत ईनामी वारंट भी जारी रहा दत्त जी विस्फोट बनाने तथा भेष बदलने मे माहिर थे तथा मुरारीलाल वेद जो बाद मे मण्डी हिमाचल प्रदेश मे बस गए तब डीएवी लाहौर मे प्रथम वर्ष के छात्र उनके सहयोगी थे।
आप अपनी गतिविधियों का केंद्र प्रेम नगर निवासी जगन्नाथ जी लौ तथा गोकुल चंद नारंग की कोठी से चलाते थे तथा परीक्षण रावी नदी के किनारे पर करते थे।
आप डीएवी कालेज लाहौर मे प्रथम वर्ष पढाई के दौरान रिवोल्यूशनरी पार्टी में शामिल होकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष में कूद पड़े। संस्कृत का अध्यन किया। वैद्य वाचस्पति की उपाधि दयानंद आयुर्वेदिक कालेज लाहौर से प्राप्त की।
1927 में संघ मे शामिल हो गए।अनेक बार सत्याग्रहियों में जेल और आपातकाल के दौरान नजरबंद भी हुए।
विभाजन के बाद जालंधर में बस गए यहां भैरों बाजार में वैद्य ओमप्रकाश दत्त के नाम से चिकित्सक के तौर पर प्रसिद्ध हुए । निष्काम सेवा भाव से सामाजिक सेवा करते हुए लोकप्रिय बने साल 1985 में जालंधर चुनाव क्षेत्र से भारती जनता पार्टी के विधायक बने उन्होंने कांग्रेस के अवतार हैनरी को हराया था। उनकी जीत ने जालंधर के इतिहास को अपने व्यक्तित्व से बदल दिया एक तरफ धन बल और दूसरी ओर दत्ता जी की ईमानदारी, साफसुथरी छवि के बीच हुए चुनाव में दत्ता जी को जीत हासिल हुई थी।