जालंधर, जुलाई 2025 — आयुर्वेद चिकित्सा को समर्पित जीवन जीने वाले वैद्य डॉ. रविंद्र दत्ता अब हमारे बीच नहीं रहे, परंतु उनका कार्य, संस्कार और विरासत चिरस्थायी रूप से हमारे साथ जीवित हैं।
डॉ. रविंद्र दत्ता एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने अपने दादा योगीराज बिशम्भर दत्त और पिता विश्वा दत्ता की आर्युवैदिक परंपरा को न केवल आगे बढ़ाया, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। दयानंद आयुर्वेद कॉलेज, जालंधर से जी.ए.एम.एस. की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने खिंगरा गेट स्थित दत्ता क्लीनिक में अपनी सेवा यात्रा प्रारंभ की। तत्पश्चात किशनपुरा स्थित अपने पिता के क्लीनिक में नियमित बैठकों द्वारा उन्होंने अनुभवों से सीखा और उस परंपरा को पूर्ण समर्पण से निभाया। कुछ समय पश्चात वह स्थाई रूप से चौक किशन पुरा स्थित दत्ता क्लीनिक में पिता जी के साथ जुड गए उनकी ख्याति केवल जालंधर तक सीमित नहीं रही, बल्कि देश-विदेश में भी गंभीर रोगों के आयुर्वेदिक उपचार के लिए उन्हें जाना गया। रोगियों के प्रति करुणा, औषधियों के चयन में गहराई और विनम्र स्वभाव उनके व्यक्तित्व की विशेष पहचान थी।
वे एक मिलनसार, धार्मिक और समाजसेवी व्यक्तित्व के धनी थे। समाज के हर कार्य में उन्होंने अपनी उपस्थिति और योगदान सुनिश्चित किया।
9 जुलाई 2025 को उन्होंने अपनी सांसारिक यात्रा शांतिपूर्वक पूर्ण की। उनकी अंतिम प्रार्थना सभा और रस्म किरया /उठाला 19 जुलाई को देवी तालाब मंदिर स्थित राम हाल में आयोजित हुई, जहाँ बड़ी संख्या में उनके सगे-संबंधी, राजनैतिक, धार्मिक और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए।
जालंधर मोहयाल सभा की ओर से अध्यक्ष नंद लाल वैद, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जी.के. बाली, महासचिव अशोक दत्ता, संगठन सचिव संदीप छिब्बर, वित्त सचिव अश्विनी मेहता, सीए वरुण शर्मा, प्रेस सचिव नरेंद्र वैद, कमांडेंट ओपी शर्मा “लौ” समेत अन्य सदस्यगण उपस्थित होकर पुष्पांजलि अर्पित की और उनकी आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की।
डॉ. रविंद्र दत्ता अपने पीछे अपनी धर्मपत्नी श्रीमती राधा दत्ता, सुपुत्र डॉ. अतुल दत्ता, पुत्रवधू वाटिका दत्ता, पोत्री तमन्ना दत्ता और पोत्र अरमान दत्ता, बेटे रूचि शर्मा, दामाद रमणीक शर्मा, दोहता जय शर्मा ,दोहती तनिष्का शर्मा सहित समृद्ध पारिवारिक छोड़ गए हैं।
उनके सुपुत्र डॉ. अतुल दत्ता भी संस्कारवान, विनम्र और सेवा भाव से परिपूर्ण हैं। वे “दत्ता आयुर्वेदा क्लीनिक” के माध्यम से अपने पिता की इस दिव्य विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है कि वे डॉ. रविंद्र दत्ता जी को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिवार को यह असीम दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
अशोक दत्ता, मोहयाल मित्रम्