जनता की आम जुबान के हरफनमौला गीतकार आनन्द बक्शी

फिल्मजगत मोहयाल समाचार
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जन्म दिवस विशेष 21 जुलाई।

भारतीय फिल्मों में कहानी के साथ गीत संगीत का विशेष महत्व होता है आजकल बिना गीत संगीत के फिल्म निर्माण की कल्पना ही नहीं की जा सकती है कई फिल्में केवल गीत संगीत से ही सुपर हिट हो जाती हैं
फ़िल्मों में कहानी और परिस्थितियों के अनुसार गीत लेखन भी एक विशिष्ट कला है जिसमें कविता शायरी में गीत लेखन किया जाता रहा हैं प्रारंभ में साहिर लुधियानवी शैलेंद्र हसरत जयपुरी शकील बदायूंनी राजेंद्र कृष्ण कवि प्रदीप प्रेम धवन कवर जलालाबादी आदि अनेक शायर के कवि गीतकारों ने कलम से गीतों का जादू चलाया परन्तु 1970 ओर 1980 दशक में आम जनता की जुबान हिंदी भाषा के गीत लेखन में जो महारथ स्वर्गीय गीतकार आनन्द बक्शी में था वह उल्लेखनीय है हालांकि गीतकार इंदिवार गुलजार ओर अनजान ने भी हिंदी शब्दों का भरपूर प्रयोग किया परन्तु गीतकार आनन्द बक्शी की लोकप्रियता 1965 में जब जब फूल खिले फिल्म के सुपर हिट गीतों से प्रारंभ हुई और मिलन ओर आराधना के बाद सर्वाधिक गीतलेखन की मांग आनदं बक्शी की ही रही राजेश खन्ना ओर धर्मेंद्र की सभी सुपरहिट फिल्मों के गीत आम आनदं बक्शी ने लिखे आनंद बक्शी ने लगभग सभी संगीतकरो के साथ किया सर्वाधिक लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के साथ 302 ओर राहुलदेव बर्मन के साथ 99 फिल्मों में गीत लेखन किया आनदं बक्शी जी को प्रारंभिक सफलता दिलाने में कल्याणजी आनन्द की भूमिका भर महत्वपूर्ण है
जब जब फूल खिले, फूल बने अंगारे हिमालय की गोद में , मेरे हमसफर ओर गीत फिल्मों की लोकप्रियता ने ही सफलता के द्वारा खोल दिए थे बाद में लक्ष्मीकांत प्यारे लाल के साथ लंबा सिलसिला चला लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को 7 फिल्मफेयर अवार्ड मिले जिसमें 6 फिल्मों के गीत आनंदबक्शी जी ने ही लिखे अन्य संगीतकारों को भी संगीत के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिले उनके गीत आनंद बक्शी ने लिखे थेओर कई गायक गायिकाओं को आंनद बक्शी के लिखे गीतों पर फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला ।
आनंद बक्शी ने सभी तरह के गीत गजल ,कव्वाली , भजन लोकगीत हास्य गीत प्रेरक गीत देश भक्ति गीत लिखे जो आज भी विविध भारती पर दिन भर बजते दिखाई देते हैं जो उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है।
आनंद बक्शी को 40 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए नामांकित किया ओर उन्हें फिल्म अपनापन , एक दूजे के लिए ,दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे और ताल फिल्म के गीत लेखन पर फिल्म फेयर टॉफी से सम्मानित किया शक्ति सामंत की फिल्म अमरप्रेम के गीत उनके केरियर की सर्वश्रेष्ठ है “कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम हैं कहना ” ओर “चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाए ”
आज भी सामयिक है जिसका उदाहरण टीवी धारावाहिक लेखों ओर टीवी डिबेट में चर्चा में देखने को मिलते है।
दक्षिण के फिल्म निर्माता सुभाष घई आनंद बक्शी के बड़े प्रशंसक थे उनकी 14 फिल्मों में सुपरहिट गीत लिखे
सभी बड़े निर्माता निर्देशकों जे ओमप्रकाश ,मोहनकुमार
यश चोपड़ा मनमोहन देसाई, एल वी प्रसाद राजश्री राज खोसला, शक्ति सामंत और राजकपूर ने आनन्द बक्शी की प्रतिभा का उपयोग किया है उन्होंने लगभग 640 फिल्मों में 3500 से अधिक गीत लिखें आज के सफल गीतकार समीर ने भी आनन्द बक्शी की फिल्म गीत लेखन की शैली को अपनाया ओर वे आज सफलतम गीतकार है आज आनंद बक्शी जी की 96 जयंती है
उनका फिल्मफेयर अवॉर्ड विजेता गीत
याद आ रहा है।
आदमी मुसाफिर है
आता है जाता हैं
यादें छोड़ जाता है।

प्रख्यात लेखक एवं वरिष्ठ अधिवक्ता : गोपाल कृष्ण छिब्बर द्वारा प्रस्तुति।

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