” एक संयुक्त परिवार की यादें: मेरे मामाजी के घर की कहानी”

मोहयाल समाचार
Spread the love

जालंधर : सबके सुख-दुख में खडे होनेवाला ओम प्रकाश दत्ता आर्मी से रिटायर होकर समाज सेवा करने के साथ राजनीतिक पार्टी काग्रेंस से जुड़ कर स्थानीय लोगों की मुश्किलातों के समाधान के लिए प्रयत्नशील रहा। धार्मिक कार्यों में भी बढचढकर सहयोगी ओमप्रकाश दत्ता जिसकी पहचान ओपी दत्ता से समाज और मोहयाल समुदाय में थी । 17 दिसंबर को अपनी संसारिक यात्रा पूरी करते हुए परलोक सिधार गए । ओपी दत्ता की याद में मुंबई से रायजादा रमेश कुमार बाली ओम प्रकाश दत्ता की याद में…लिखतें हैं

मेरे मामा स्वर्गीय भीमसेन दत्ता जी ने जालंधर कैंट में गड़ा एचएन 222 में एक घर बनाया था। इस घर में मेरे ममेरे भाई-बहनों का जन्म और पालन-पोषण हुआ था। मेरे ममेरे भाई बंसी वीर, कस्तूरी वीर, ओम प्रकाश दत्ता, ज्ञान प्रकाश दत्ता, कुप्पी दत्ता, मदन मोहन दत्ता,  गिरीश दत्ता हैरी दत्ता और बहनें बाला, विजय और नीलम ने इस घर में साथ में रहने के सुखद अनुभव को साझा किया ।

मुंबई में संयुक्त परिवार संस्कृति लगभग अस्तित्व में नहीं है, लेकिन मेरे मामा जी के घर में यह संस्कृति अभी भी जीवित थी। मैं अपनी पत्नी सुमन बाली के साथ 4 साल पहले पहली बार गढ़ा गया था और इतने सारे सदस्यों को एक ही घर में रहते हुए देखकर वह बहुत प्रभावित हुई थीं।

उनके शब्द थे, “मैंने इस तरह के रिश्ते के आतिथ्य का आनंद नहीं लिया है। यह हमारी पहली यात्रा थी (शादी के बाद 1982)। 40 भाई-बहनों की हंसी और बंधन अद्भुत अनुभव था।”

ओम बहुत सक्रिय थे और विस्तारित परिवार के सभी कार्यक्रमों में भाग लेते थे। वह हर जगह सुख-दुख में पूछने वाले थे। मेरे दिल के बहुत करीब, मेरा भाई, मेरा दोस्त अब इस दुनिया में नहीं है। यह विश्वास करना मुश्किल है।

रायजादा रमेश कुमार बाली मुंबई

Leave a Reply

Your email address will not be published.