शहीदों के सरताज भाई मतिदास सिख इतिहास के सर्वश्रेष्ठ शहीदों में से एक थे । इनका जन्म झेलम जिले के गांव करियाला में हुआ था वर्तमान में जो पाकिस्तान मे स्थित हैं।
भाई मतिदास मोहयाल ब्राह्मणों की जाति छिब्बर से थे।
भाई मतिदास ,भाई सतिदास और भाई दयाला नौवें गुरु तेगबहादुर जी के साथ शहीद हुये थें।
गुरु तेगबहादुर के साथ भाई मतिदास और उनके भाई को भी गिरफ्तार करके औरंगज़ेब के सामने पेश किया गया.. औरगंजेब चाहता था गुरु तेगबहादुर और भाई मतिदास इस्लाम धर्म स्वीकार करें। भाई मतिदास ने इस्लाम को स्वीकार करनें से इंकार कर दिया तो औरंगजेब गुस्से से लाल हो गया।
औरगंजेब ने आदेश दिया गुरू जी का सिर काट दिया जाए। औरगंजेब के काजियों ने सोचा कि जब गुरू के संमुख भाई मतिदास और उनके भाईयों को कठोर यातनाएं दी जायेगी तो यातनाओं की पीडा़ अनुभव करते हुए गुरू जी स्वयं इस्लाम धर्म को अपनाने के लिए राजि हो जाएंगे।
काजियों ने भाई जी को इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए अनेक प्रलोभन दिये। काजियों ने कहा उच्च पद,धन दौलत दी जायेगी जिससे तुम सुख शांति सज आनंदमय जीवन जी सकोगे अगर आपने हमारी बात नहीं मानी तो कठोर यातनाएं देकर मार दिया जायेगा, निर्णय आपको करना, सोच समझ कर जबाव दें।
भाई मतिदास ने कहा:मैं अपने धर्म को त्यागने की बजाय मरना पसंद करूंगा।
काजी ने भाई मतिदास का निर्णय सुनकर क्रोधित होते हुए कहा “जैसी तुम्हारी इच्छा, मरने से पहलें अपनी कोई आखिरी इच्छा हैं तो बताएं भाई जी ने कहा हां मेरी आखिरी इच्छा हैं मेरा मुख मेरे गुरु के संमुख रखा जाए मैं अन्तिम समय में अपने गुरू के दर्शन कर संकू।
“भाई जी की अंतिम इच्छा पूरी करतें हुए भाई जी को गुरू जी के सामने लकड़ी के तख्तों के बीच जकड़ कर सिर पर आरा रख दिया गया। जब आरे को आगें पीछे किया गया तो खून सिर से मुहं पर आ गया लेकिन भाई जी के चेहरे पर थोड़ी सी भी सिकन ना थी वह जोर जोर से जापुजी का पाठ करते रहें हुए धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दिया। यह घटना 9 नवंबर की हैं । स्थान गुरद्वारा शीशगंज के नजदीक भाई मतिदास चौक जिसे पहले फव्वारा चौक कहते थे। अब यहां पर भाई मतिदास अजायबघर भी स्थित हैं।
मोहयाल समुदाय भाई मतिदास जी के बलिदान को याद करतें हुए कार्यक्रमों का आयोजन करतें हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए शत् शत् नमन करते हैं।
अशोक दत्ता सचिव जालंधर मोहयाल सभा