भाई बहन के स्नेह का प्रतीक पर्व भैया दूज

धार्मिक मोहयाल समाचार
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भाई दूज की कथा
भगवान सूर्य नारायण की पत्नी छाया है। भगवान सूर्य और छाया के पुत्र और पुत्री हैं यमराज तथा यमुना जी। यमुना जी को अपने भ्राता यमराज से बडा स्नेह था वह अपने भाई को सदैव कहती और निवेदन करती भैया मेरे घर अपने मित्रों के साथ आकर भोजन करे। यमराज बहन यमुना को काम की व्यस्तता का हवाला देकर टालते रहें एक दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष के दिन यमुना जी ने भोजन के लिए अपने घर पर भाई को आमंत्रित करतें हुए वचनबद्ध कर दिया।
यमराज सोचने लगा मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे तो अपने घर कोई भी बुलाना नहीं चाहता।बहन ने बडे प्रेम भाव से बुलाया है ।भाई का धर्म हैं वह बहन का मान रखें।बहन के घर आते समय नरक निवास करने वाले सभी जीव प्राणियों को मुक्त कर दिया।
यमराज को अपने घर आते देख बहन यमुना जी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह बडें हर्षोल्लास से स्नान कर पूजा पाठ करनें के पश्चात रसोई में अनेक प्रकार के भोजन बनाने लगी।

यमुना जी ने वर मांग लिया । आप हर साल इसी दिन मेरे घर आया करें साथ ही मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहें यह सुनकर यमराज ने तथास्तु कह कर यमुना को सुन्दर वस्त्र, उपहार प्रदान करतें हुए यमलोक को प्रस्थान कर गए।
इसी दिन से भाई दूज के पर्व की परंपरा शुरू हो गई । बहनें भाई का सत्कार करती हुई ,उनके मस्तक पर टीका लगाती हैं और दिर्घायु की कामना करती हैं। भाई बहनों को भी उपहार और शगुन भेंट करते हैं । भाई बहन के स्नेह का प्रतिक पर्व को भाईदूज कहतें हैं।

नोट: आज के पर्व की फोटो (बहन भाई को टीका करती हुई) मोहयाल मित्रम् में प्रकाशन हेतु भेंज सकती हैं
वाट्सएप करें 9779890717

पुष्टि अपने भाई अयुष दत्ता को टीका लगाकर उपहार देते हुए।

 

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