वज़ीर दूनी चंद मेहता वैद जी किश्तवाड़ के उस वैद परिवार से थे, जिन्होने तैमूर के वक़्त जम्मू के हिन्दू महाराज के नेतृत्व मे उसकी फ़ौज से टककर ले कर सैंकड़ो हिन्दू स्त्रियों की रक्षा की, जिन्हे तैमूर मध्य भारत के बाजार मे गुलाम बना कर बेचना चाहता था । अपने खानदानी रिवाज़ों को कायम रखते हुए जम्मू के राजा के दरबार मे वज़ीर ए वज़ारत के ओहदे पर थे और 1948 मे जब काबिलियइयों ने हिन्दू राज्य पर हंमला किया, तो अपनी और अपने परिवार की जान की परवाह किये बगैर मेहता दूनी चंद अपने राज्य के बॉर्डर पर सैनिकों की तैनाती मे लग गए । जब मुसलमान डोगरे सैनिक अपने मुसलमान काबिलियई हममज़हब दुश्मनों से मिल गए, उस वक़्त भी मेहता जी ने हिम्मत नहीं हारी मेहता जी और कर्नल नारायण सिंह सम्भयाल अपने मुट्ठी भर सैनिको को ले हर पोस्ट पर गए और सैनिकों का मनोबल बढ़ाया पर जब इनके परिवार को ही घेर लिया गया तो अपने घर की रक्षा करते हुए मेहता जी ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए उन काबिलियाइयों से लोहा लिया व वीर गति को प्राप्त हुए पर मोहयाली खून की लाली को बरकरार रखते हुए ना धर्म हारा और ना ही अपने राज्य और कर्तव्य से पीछे हटे ।
15 अगस्त के दिन हमें उन वीरों को भी याद करना चाहिए जिनकी वजह से कश्मीर आज भारत का अभिन्न अंग है । निखिल मोहन । ।