जालंधर मोहयाल सभा के संस्थापक: चौ.धर्म देव दत्ता

मोहयाल शख्सियत
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आज हमारे बीच जालंधर मोहयाल सभा के संस्थापक चौधरी धर्म देव दत्ता एवं इनके पुत्र आत्म स्वरूप दत्ता जोकि ए.एस.दत्ता से जाने जाते थें । सभा के कई वर्षों तक प्रधान एवं जीएमएस के निर्वाचित सदस्य रहें।
यह साक्षात्कार 17-12-95 को मैने किया और मोहयाल मित्र में प्रकाशित हुआ । इस साक्षात्कार को वैसा ही मोहयाल मित्रम् में प्रकाशित किया जा रहा है जैसा मोहयाल मित्र मे प्रकाशित हुआ।…

.अशोक दत्ता..सचिव जालंधर मोहयाल सभा

जालंधर मोहयाल सभा के संस्थापक स्वर्गीय चौ.द्वारिका दास के सुपुत्र धर्म देव दत्ता जिन्हें विरासत से मिली उस मोहयाली की भावना को जागृत करने,आपसी मेल मिलाप मोहयाली शान को बनाये रखने हेतु प्रयत्नशील आज उन की आयु 85 वर्ष से ऊपर .. परन्तु हौसला बुलंद।
17-12-95 दिन रविवार को उनके निवास मोहयाल नगर में मोहयाल डारेयक्टरी के विमोचन समारोह से पूर्व बातचीत करने का अवसर मिला तो उन्होंने अपने बीते दिनों की पोटली खोलते हुए कहा..?
“हमारे पूर्वज विभाजन से पहले जेहलम (पकिस्तान) मे रहते थे। 1920 में जेहलम से करतारपुर पंजाब में गए”।
1923 में करतारपुर से जालंधर स्थाई रूप से आकर”करतारपुर साईकिल हाऊस” के नाम से साईकिल उद्योग में लग गए उन्हीं दिनों मोहयाल नगर की स्थापना की इस नगर में अधिकतर मोहयाल परिवार रहते थे अब भी काफी संख्या में मोहयाल इस नगर में रहकर अपनी पहचान बनाएं हुए हैं”।
चौधरी साहब ने अपनी बात जारी रखते हुए बताया” देश में ब्रिटिश सरकार ने के खिलाफ जेहाद छिड़ चुका था,पिता जी समाज सेवा के साथ सियासत में विशेष रूचि रखते थे।
जब मैन पुछा …किस पार्टी से संबंध..?
तो उन्होंने कहा.. काग्रेस पार्टी में निष्ठा रखते थे। जब कोटा में भयानक भुकम्प आया तो हमारे परिवार ने बढ चढ कर माली मदद की।
1947 मे देश भारत पाकिस्तान विभाजन हुआ। उस बारे जब मैनै पूछा…?
तो चौधरी साहब कहने लगें, मेरे पिता जी मुझे साथ ले जाकर हर कैंप में जरूरत मंदो की सहायता के लिए पहुंचते विशेष कर मोहयाल परिवारों की खोज करते यदि कोई मोहयाल परिवार मिलता तो हम उस परिवार की पूरी मदद रोटी. कपडा और मकान की जरूरत को पूरा करते ऐसा सिलसिला चलता रहता।
मोहयालजनों का आपसी मेल मिलाप, मोहयाली परम्परा को बनाये रखने के लिए मोहयाल सभा का गठन कर दिया।हर माह सभा की बैठक होती आपसी मेल मिलाप के साथ आपसी समस्याओं का समाधान करतें।
पिताजी के अचानक निधन के पश्चात सभा की गतिविधियों को सुचारू बनाएं रखने की जिम्मेदारी निष्ठा व लगन से निभाता रहा।चौधरी जी से मैने पूछा ..?
इसका मतलब “तब उन्होंने कहा, अब भी निभा रहा हूं फर्क इतना है पहले स्वयं करता था,अब मेरा सुपुत्र आत्म स्वरूप दत्ता सभा का प्रधान है निभा रहा हैं। मैं खुश हूं जैसा आज समारोह हो रहाहै ऐसे समारोह मेले होते रहें भावी पीढ़ी में जागृति आए।
चौधरी जी से पूछा-“आज के मोहयाल और पहले मोहयाल जनों में अंतर..?
“अंतर कुछ ज्यादा नही ।
आज मोहयाल बिरादरी के बाहर रिश्ते कर रहे,इस का क्या कारण..?
“इसके कई कारण है यदि जरनल मोहयाल सभा,स्थानीय मोहयाल सभाएं मिलकर युवा पीढी को बिरादरी के प्रति लगाव,बिरादरी के गौरवमय इतिहास की जानकारी, बिरादरी की महत्ता पर जोर दें तो अपने आप बिरादरी के बाहर रिश्ते होने बन्द हो जाएंगे।
अन्त में चौधरी साहब ने कहा..?
हमें युवा पीढी में बिरादरी के प्रति स्नेह की भावना को जागृत करते हुए प्रतिभाशाली कलाकारों, खिलाड़ियों, समाज सेवकों, सियासतदानों, शिक्षा क्षेत्र में नाम कमाने वालों को विशेष समारोह आयोजन करके सम्मानित करना चाहिए ताकि वह मोहयाल बिरादरी पर गर्व कर सकें।
समारोह शुरू होने वाला था हमने जय मोहयाल कहकर विदाई लेते हुए महसूस किया हमारी बिरादरी मे ऐसे सुलझे कर्मठ समाज सेवक जिन में नैतिकता, सच्चाई, सद्गुण, सदव्यवहार, साफ सुथरी छवि रखने वाले मोहयाल चौधरी धर्म देव दत्ता जिन्होंने बिरादरी की निष्ठा और लगन से सेवा की उनकी पहचान मोहयाल बिरादरी में हो कलमबद्ध करके मोहयाल मित्र के पाठकों तक पहूचाने की कोशिश ताकि ऐसे मोहयाल जो मोहयाली शान को बरकरार रखने के लिए प्रयत्नशील है उनका नाम- पहचान बन सके।

स्वर्गीय ए एस दत्ता प्रधान जालंधर मोहयाल सभा रजि. एवं सदस्य मैनेजिंग कमेटी जरनल मोहयाल सभा ने मोहयाली एकता और भाई चारे को बनाएं रखनें के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया उसे सदा याद किया जाएगा।

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