मेहता बस्ती राम एक स्वर्णिम अध्याय आज हम करगिल, द्रास और मानसरोवर पर अपना हक जताते हैं उनको जितने का श्रेय जरनल जोरावर जी को जाता है पर जरनल जोरावर जी के मार्ग दर्शक और विश्वसनीय सलाहकार मेहता बस्ती राम जी का योगदान भी कम नही मेहता बस्ती राम जी चलती फिरती कमपास थे थे
जो काम आज का GPS करता है उससे भी तीव्र गति से बस्ती राम जी करते थे तथा दुर्गम से दुर्गम इलाकों को भी आसानी से पहुंच जाते थे मेहता जी का जन्म किश्तवाड़ काश्मीर मे हुआ था पर
आपके पूर्वज नीलम घाटी से किश्तवाड़ गये थे आप के पड़दादा जी जो भिमवाल थे पंडित कृपा राम दत्त जी के खेत खलियान संभालने कश्मीर गये थे क्योंकि कृपा राम जी कश्मीरी पंडितों को लेकर गुरूतेगबहादुर जी के पास गए थे किश्तवाड़ के जंगलों तथा पहाड़ों से आपभलईभआनतई परिचित थे उनके इस गुण को पहचानते हुए जरनल जी ने आप को अपना सहायक बनाया आप बहुत अच्छे निशाने बाज भी थे
तिब्बत के युद्ध मे जब एक तिब्बती ने ऐक चट्टान कि आड़ से जरनल जी को गोली मारी और वे वीरगति को प्राप्त हो गये तब मेहता जी ने स्टीक निशाना लगा कर उसे भी धाराशाही कर दिया
इस धटना के एक साल पश्चात जब जरनल साहब कि पत्नी ने उस स्थान को देखते कि इच्छा जताई जहां पर जरनल
जी वीरगति को प्राप्त हुए थे आप ठीक उसी जगह उनको लेकर गये जरनल जी ने अपनी बहादुरी से युद्ध जीते पर उन सबकी रूप रेखा मेहता बस्ती राम जी ने तैयार कि वीर मोहयाल ब्राम्हण मेहता जी को शत् शत् नमन
जिस प्रकार हरिद्वार मे पड़े होते है उस प्रकार मटन कश्मीर मे भी पड़े होते थे यह जानकारी मेरे पिताजी श्री कृष्ण गोपाल दत्ता जी ने वहां से ली तथा दन्त कथा के रूप मे मुझे सुनाई…पवन दत्ता यमुनानगर हरियाणा
