पंजाब पुलिस के सब-इंस्पेक्टर अनिल बाली, जो इस समय ट्रेनिंग सेंटर फिल्लौर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, सिर्फ एक कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी ही नहीं, बल्कि मोहयाल समुदाय की समृद्ध विरासत के सच्चे वाहक भी हैं।
संस्कार, सरलता और सौम्यता से भरपूर अनिल बाली की पहचान आज अपने पेशे के साथ-साथ अपने चरित्र और मूल्यों से भी बन रही है।
अनिल बाली को यह संस्कार विरासत में मिले—अपने स्वर्गीय दादा रायजादा मेहर चंद बाली से, जो स्वयं पुलिस विभाग में विभाजन से पहले पुलिस विभाग में तैनात थे। बाद में 1947 विभाजन के पश्चात शिमला आ गए। उनकी सेवानिवृत्ति पुलिस फिल्लौर पंजाब से सम्मानपूर्वक हुई और अद्भुत 108 वर्ष की आयु में इस संसार से विदा हुए।
मेहर चंद बाली जी एक ऐसी महान शख़्सियत थे, जो जीवनभर मोहयाल समुदाय को जोड़ने, समझाने और उनमें मोहयालियत की भावना जगाने में लगे रहे। उनका यह कहना आज भी लोगों को प्रेरित करता है— मेरे पुत्र मेरी विरासत को बड़ा रहें हैं।
अनिल बाली ने बताया बड़े ताया जी रायजादा कुलबीर बाली SSB में सेवा की उसके पश्चात् हिमाचल पुलिस से सेवानिवृत्त हुए। छोटे ताया रायजादा राजेन्द्र कुमार बाली हरियाणा पुलिस से सोनीपत से सेवानिवृत्त हुए।
मेरे पिता रायजादा अश्विनी कुमार बाली जी पंजाब पुलिस लुधियाना से इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए।
“अब वही परंपरा आगे बढ़ा रहे हैं उनके उत्तराधिकारी—
युवा, ऊर्जावान और सादगीपूर्ण सब-इंस्पेक्टर अनिल बाली ”
अनिल बाली आज जहां भी जाते हैं, अपनी मधुर व्यवहार शैली, संस्कार और मोहयाल समुदाय के प्रति भावनात्मक जुड़ाव के कारण लोगों के दिलों में जगह बना लेते हैं। समुदाय से जुड़े रहना और अपनी जड़ों पर गर्व करना— यही उनकी विशेष पहचान है।
“वास्तव में, अनिल बाली न केवल वर्दी का मान बढ़ा रहे हैं, बल्कि अपने पूर्वजों की विरासत को भी नए युग में चमका रहे हैं”।


