राम मंदिर अयोध्या की कार सेवा में मोहयाल भाई बहनों ने बढचढकर भाग लिया जालंधर की बहन पुष्पा छिब्बर समाज सेविका भाजपा की सक्रिय सदस्य एवं प्रकाशवंती दत्ता और वैद ओमप्रकाश दत्ता आज अपनी आंखों से राम मंदिर नहीं देख सकें। इन्होंने राम जन्मभूमि के लिए बड़ी संख्या में राम भक्तों को कार सेवा में जाने के लिए प्रेरित किया व स्वयं विशाल जत्थे के साथ अयोध्या कार सेवा के लिए गयें ।
वैद ओमप्रकाश दत्ता के भतीजे सुनील दत्ता आज बड़ी खुशी से बता रहें है : राम मंदिर का सपना साकार हुआ । राम भक्तों में प्रभु राम के प्रति आस्था देखते ही बनती थी । आज जो जीवित हैं वह आपनी आंखों से राम मंदिर देखकर हर्षित होकर कहते हैं सपना हुआ साकार।
वर्ष 1990 में कार सेवा के लिए रामभक्त अयोध्या जा रहें थे । सुनील दत्ता ने बताया: मैंने स्कूल में नौकरी से पहले छुट्टियां ले ली थी । परिवार को राम काज पर जाने की बात कही तो पत्नी व बच्चों ने नहीं रोका । घर से प्रोत्साहित हो कर निकला। रास्ते में मुश्किलातों का अंदेशा था मैने एक बैंग में काफी सारे चने रख लिए अगर रास्ते में भोजन भी न मिलें तो इन चनों से भुख मिटा लुगा।
जालंधर से दस दोस्तों के साथ निकला था। बिगड़ते हालातों को देखते सरयू से तीस किलोमीटर पहले गाड़ी को रोक दिया गया।
ऐसे में हम दोस्तों ने निर्णय लिया और दो दो की टोलियां बना कर पैदल चल दिए । अंधेरी रात में गांव में पहुंच कर गांवों वालों को अपनी पहचान राम भक्त के रूप में बताई तो लोगों ने स्वागत् करतें हुए अतिथि सत्कार किया । रात को ठहरने के लिए पूरी व्यवस्था की । फिर हम सभी प्रातःकाल अयोध्या की ओर चल पड़े। अयोध्या पहुंचकर रामभक्तों के हुजूम को देख कर दिल बाग बाग हो गया।
भीड़ बड़ी तो शांतमय रामभक्तों पर पुलिसकर्मियों ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया । देखते ही देखते फायरिंग शुरू कर दी गई। पुलिसकर्मियों द्वारा धक्केशाही और सरकारी बंदिशों के चलते रामभक्तों ने वापस लौटना मुनासिब समझा। साल 1992 में कार सेवा में किसी विशेष कारण से जा नहीं सका । कार सेवा न कर पाने का मलाल तो हैं परन्तु अपनी आंखों से राम मंदिर निर्माण और 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का सपना साकार होगा । यह शुभ दिन असंख्या श्रीराम भक्तों के बलिदान के बाद प्राप्त होने जा रहा हैं। इस शुभ दिन को सभी भाई बहन मिलकर यादगार बनाएं।
राम ज्योति जलाऐं। दिपावली मनाएं .
प्रस्तुति:अशोक दत्ता