मीरपुर। जम्मू-कश्मीर राज्य का जिला केन्द्र था, जिसमें मीरपुर,भिमबर और कोटली ये तीन तहसीलें थी और नौशहरा एक टप्पा था महाराजा रणजीत सिंह की सेना के सिपहसालार सरदार महासिंह बाली यहां के निवासी थे इस क्षेत्र की भाषा मीरपुरी जो पौठोहारी पंजाबी से मिलती जुलती थी ।
मीरपुर मे झेलम नदी पर बने मगलमाई किले के पास माता मगलमाई का मंदिर था अब वहां पर पाकिस्तान ने विशालकाय बांध बनाया है झेलम नदी यहां से १० मील दूर बहती थी ।
झेलम शहर यहां से २२ मील दूर था तब मीरपुर की जनसंख्या लगभग १० हजार के करीब थी जनसंख्या की दृष्टि से येह क्षेत्र मुस्लिम बहुल था हिन्दुओं मे महाजन और काफी संख्या मे मोहयाल थे जो काफी सम्पन्न थे
काश्मीर के बारामूला के बाद मीरपुर मे केशदारी बाली बहुत थे जो बहुत दबंग थे जब काबायलीयो ने मीरपुर पर आक्रमण किया तो उन्होंने खूब प्रतिकार किया परन्तु वजीरे वजारत राव रत्न सिंह कि कायरता और दखलंदाजी के कारण विफल हुआ बच सकता था मीरपुर अगर भारतीय सेना के कमांडर ब्रिगेडियर परांजपे की बात सुनी जाती वे झगड तक पहुंच चुके थे २४ लारियों को मीरपुर की जगह श्रीनगर भेज दिया गया हालांकि घाटी अब तक पूरी तरह मुक्त हो चुकी थी पूरा का पूरा क्षेत्र हिन्दू विहीन कर पाकिस्तान ने हड़प लिया जो आज भी कराह रहा है ।
(केवल कुछ एक हिन्दू परिवार ही जम्मू मे आकर बसे इसका श्रेय बलराज मधोक, पण्डित प्रेम चंद डोगरा और बद्री नाथ बाली जी को जाता है)
यह जानकारी मेरी माता स्वर्गीय निर्मल दत्ता सुपुत्री सरदार मेहर सिंह वैद, बख्शी रघवीर सिंह वैद जो आजकल सोनीपत मे रह रहे है तथा GMS के पूर्व मेंबर भी रह चुके हैं तथा कलकत्ता निवासी श्री राम किशन दत्ता जी ने ज्योति जला निज प्राण की नामक पुस्तक मे दी ….
पवन दत्ता.. यमुनानगर