एई. बख्शी पुनीत दत्ता गांव द्राबा, जिला पूंछ ,जेएंडके
मैं अपनी प्रयागराज महाकुंभ यात्रा के दौरान दिल्ली रेलवे स्टेशन से ट्रेन द्वारा यात्रा करने वाला था, लेकिन अचानक ट्रेन मार्ग को मोड़ दिया गया और मुझे उस ट्रेन को छोड़ना पड़ा। मुझे अपनी यात्रा को 3:30 बजे एक और ट्रेन से आगे बढ़ाना पड़ा।
रेलवे स्टेशन पर रूकने की बजाय, मैंने मोहयाल भवन, इंद्रपुरी जाने का फैसला किया। हालांकि मेरे पास आधे दिन से भी कम समय था, फिर भी मैं वहां जाने के लिए उत्साहित था क्योंकि मैं पहली बार वहां जा रहा था।
मैं वहां 5 बजे पहुंचा। वहां पहुंचकर मुझे एहसास हुआ कि यह मेरा घर है। मैं पहली बार श्री हरि ओम मैहता जी से मिला। मैं उनके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हुआ। उनका आतिथ्य, प्रेम और स्नेह प्रशंसा योग्य है। वह मोहयालियत की काफी जानकारी रखतें हैं। उनसे वार्तालाप करकें बडीं खुशी अनुभव हुई।
मैं उन महान मोहयाल बुजुर्गों और विशेष रूप से स्वर्गीय श्री बी.डी. बाली साहिब को अपना सम्मान और श्रद्धांजलि देता हूं, जिन्होंने मोहयाल समुदाय के कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया।
मोहयाल भवन इन्द्रपुरी अपने प्रवास के दौरान मोहयालों के लिए बहुत ही उचित दरें प्रदान करता हैं। सभी कमरें वातानुकूलित, स्वच्छ और सुविधाजनक हैं।
मोहयाल मित्रम् के माध्यम से मैं एक बार फिर अपने आतिथ्य सत्कार के लिए श्री हरि ओम् मैहता जी का हार्दिक धन्यवाद करता हूं।