मोहयाल रत्न पीके दत्ता जी की कहानी एक प्रेरणा है जो हमें सिखाती है कि सेवा और समर्पण के साथ, हम अपने समुदाय को मजबूत बना सकते हैं और एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
पीके दत्ता जी एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने अपना जीवन मोहयाल समुदाय की सेवा में समर्पित कर दिया है। उनके पिता, स्वर्गीय गुलजारी लाल दत्ता, लाहौर मोहयाल भवन के पहले सुपरिटेंडेंट थे। विभाजन के बाद, उन्होंने सभा का पूरा रिकॉर्ड भारत लेकर आए थे।
पीके दत्ता जी ने अपने पिता से सेवा के संस्कार सीखे और आज वह मोहयाल समुदाय को समर्पित दानवीर शख्सियत हैं। वह सदैव मोहयाल भवनों के निर्माण में आर्थिक सहायता करते हैं ताकि मोहयाल बिरादरी की पहचान समाज में स्थापित हो। इसके अलावा, वह मोहयाल बच्चों की शिक्षा के लिए आर्थिक मदद प्रदान करते हैं।
दत्ता जी पर ईश्वर की अपार कृपा हैं। धन का होना और उसका सदुपयोग जनहित में करना बहुत बड़ी बात है।