शहिदों के सरताज अलौकिक भाई मतिदास का धर्म रक्षा हेतु दिये गए बलिदान का संक्षेप वर्णन : जीके छिब्बर वरिष्ठ अधिवक्ता भोपाल
भाई मतिदास मोहयाल जाति के ही गौरव पुरुष नही है वे समस्त सनातन समाज के की धर्मरक्षक अमर बलिदानी है 1651 में करियाला में जन्मे बाबा प्रागा के पड़ पोते थे सिखो के लगभग सभी गुरू के दीवान छिब्बर रहे हे सिखों और मोहयालो के गहरे संबंध रहे है यही कारण था की सीखो के 9 वे गुरु तेगबहादुर के प्रधान मतिदास छिब्बर थे जिनका बलिदानी इतिहास है ।
मुगल सम्राट ओरंगजेब के शासनकाल में हिंदुओं पर घोर अत्याचार एवम् अमानवीय व्यवहार हो रहा था जो इस्लाम कबूल न करता उसे यातनाएं देकर मृत्युदंड दिया जाता था इस बात से गुरु तेगबहादुर बहुत दुखी थे । एक बार कश्मीरी पंडितो का जत्था पंडित कृपा राम दत्त के साथ आया की कश्मीर में उनपर जुल्म हो रहे इस्लाम स्वीकार न करने पर यातनाएं दी जा रहीं है इसलिए गुरु तेगबहादुर की मदद चाहिए ।
भाई मतिदास ने सारा विवरण गुरु तेगबहादुर को सुनाया।
गुरू तेगबहादुर ने कहा, जाओ औरंगजेब को संदेशा दो कि पहले गुरुजी को इस्लाम कबूल कराओ तो सभी इस्लाम स्वीकार कर लेंगे।
ओरंगजेब को जब यह मालुम पड़ा तो आगबबूला हो गया।
गुरु तेग बहादुर और भाई मतिदास अनेक समर्थको के साथ ओरंगजेब से बदला लेने के लिए दिल्ली रवाना हो गए। परंतु मुगल सम्राट की विशाल सेना ने गुरु तेगबहदुए भाई मतिदास उनके छोटे भाई सतिदास और भाई दयाला को बंदी बना लिया।
ओरंगजेब के काजी ने 2 शर्ते रखी या तो इस्लाम स्वीकार कर लो अन्यथा मृत्यु को अंगीकार कर ले।
गुरु तेगबहादुर और भाई मतिदास ने पहली शर्त मानने से इंकार कर दिया।
ओरंगजेब ने गुरु जी में भय उत्पन्न करने के लिए भाई मतिदास को आरे से चीरने का आदेश दिया और इस्लाम कबूल करने के अनेक प्रलोभन दिए परन्तु मतिदास अपने फैसले पर अडिग रहे।
9 नवंबर 1675 को दिल्ली के चांदनी चौक में भाई मतिदास को लकड़ी के दो पाटों के बीच बांध कर जल्लाद क्रूरता से आरे से चीरता रहा जबकि मतिदास सुखमनी साहब का वाचन करते रहे 10 तारीख को भी सतीदास को गरम तेल में डाला गया तथा 11 तारीख को भाई दयाला को रूई में लपेट कर जलाया गया फिर भी गुरु तेगबहादुर विचलित नही हुवे फलस्वरूप गुरू तेग बहादुर का सर कलम कर दिया गया आज वही स्थान शीशगंज गुरुद्वारा है तथा वही भाई मतिदास का चंदनी चौक में स्मारक भी है। इसी वंश के क्रांतिकारी शहीद भाई बाल मुकंद भाई परमानंद है जो देश और धर्म के लिए समर्पित हो गए।
सभी बलिदानियों की सदर नमन ।
प्रस्तुति: गोपाल कृष्ण छिब्बर