जन्म 4 नवम्बर 1876 करियाला (पाकिस्तान)… मृत्यु 8 दिसंबर 1947 जालंधर ।
भाई परमानंद जी की 8 दिसंबर को पुण्यतिथि आती है । यह कहना कठिन है कि कितने देशवासियों का और मोहयाल बिरादरी का ध्यान तनिक इस ओर जाता होगा। देश और समाज के लिए जीने मरने वाले एक नहीं अनेक हुए।शताब्दियों के संघर्ष और बलिदानो के बाद अपने देश को स्वतंत्रता मिली । निश्चित ही अनेक महापुरुषो ने अपना योगदान दिया। स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान भाई परमानन्द जी एक तेजस्वी क्रन्तिकारी के रूप में प्रतिष्ठित थे। उनकी प्रेरणा से ही कई नौजवानों ने अंग्रजों के खिलाफ संघर्ष में अपनी आहुति दी। भाईजी राष्ट्रवादी देशभक्त एवं क्रन्तिकारी विचारधारा के थे। हिन्दू संस्कृति से उन्हे गहन प्रेम था। आजादी की लड़ाई में उन्होनें शारीरिक यातनाये ही नहीं सही,बल्कि उन्हे बार बार मानसिक रूप से कमजोर किया जाता रहा।उनके संघर्ष काल मे ही उनकी पत्नी व बड़ी बेटी स्वर्ग सिधार गई। राष्ट्रभक्त भाई परमानंद भारत वासियों के हृदय में सदैव जीवित रहेंगे ।
22 फरवरी 1915 में लहौर षडयंत्र अभियोग में आपको गिरफ्तार कर किया गया । 30 सितम्बर 1915 को भाई जी को अन्य सथियो सहित मृत्युदंड का निर्णय सुना दिया गया। दो माह के बाद ही मृत्युदंड की सज़ा को बदल दिया गया । इसी निर्णय के अनुसार भाई परमानंद जी को अण्डमान की कालकोठरियो मे ले जाकर बन्द कर दिया गया। कुछ नेताओं के अनुरोध पर पांच वर्ष के बाद ही अप्रेल 1920 में उनको अण्डमान जेल से रिहा कर दिया गया ।
भाई परमानंद जी भारत की स्वाधीनता के लिये जीवन के अन्तिम क्षण तक संघर्ष करते रहे । भारत विभाजन के आघात को वे सह नहीं सके और 8 दिसंबर 1947 क भाई परमानंद जी जालंधर मे देवलोक को प्रस्थान कर गये ।
सत्येन्द्र छिब्बर जोधपुर