व्यंग्य : कुर्सियां महान है : नीना छिब्बर
कुर्सियां महान है। छोटी हैं, बडी हैं, गोल हैं, चपटी हैं, बढती हैं, चलती हैं, हरदम चलायमान हैं। दो हत्थे कुर्सी असंख्यों को नचाती हैं। ईश कृपा है,दो ही हत्थे हैं, वरना प्रलय की आंधी आ जाती हैं, चौपाया हैं पर दो पायों को चलाता हैं, कुर्सी के मोह से मानव क्या से क्या हो […]
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