देवभूमि हरिद्वार में मोहयाल आश्रम में बिताए गए वो तीन दिन बहुत ही आलौकिक एवं यादगार पल थे।आश्रम के प्रबंधकों और कर्मचारियों का व्यवहार बहुत ही खुशमिजाज था एक पल भी ऐसा नहीं लगा हम घर से बाहर हैं।
आश्रम की साफ सफाई के अलावा भोजन की गुणवत्ता अतुलनीय थी । सुबह अल्पाहार के पश्चात हम सभी हर की पौडी पर गंगा जी का सुखद स्नान किया और धार्मिक स्थलों के दर्शन करने के बाद गंगा आरती देखने के पश्चात रात्रि विश्राम के लिए आश्रम पहुंच कर कुछ समय आराम किया फिर भोजन के लिए भोजनालय पहुंच कर स्वादिष्ट भोजन किया भोजन बडें अच्छे ढंग से परोसा गया जिसने पूरे दिन की थकावट को दूर कर दिया।
अगले दिन फिर अल्पाहार करने के पश्चात ऋषिकेश और नीलकंठ की यात्रा को चल दिये।निलकंठ महादेव के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ जब हम वापिस आश्रम में आये तो वहां पर मोहयाल रत्न ओपी मोहन से मिलने और आर्शीवाद लेने का अवसर प्राप्त हुआ। जालंधर के बख्शी, शर्मा और यमुनानगर के दत्ता परिवार ने अपना यादगारी समय बिताया। यह भी बताना जरूरी हैं मोहयाल आश्रम के सेवादारों का आत्मिय व्यवहार बहुत अच्छा लगा तथा मोहयाल होने का गर्व भी सभी मोहयालों से अनुरोध हैं जब भी हरिद्वार यात्रा का सौभाग्य मिले अपने मोहयाल आश्रम में आये यहां आने पर आप गौरवान्वित होगे। अपने गैर मोहयाल मित्रों को भी मोहयाल आश्रम के बारे में बताएं उन्हें भी मोहयाल समुदाय द्वारा बनाए गए आश्रम की भव्यता की जानकारी प्राप्त होगी।
आप जब भी मोहयाल आश्रम में आये तो अपने अनुभव जरूर लिखें।
जय मोहयाल
चन्द्रमोहन बख्शी
जालंधर शहर
यादगार फोटों: मोहयाल रत्न ओपी मोहन जी के साथ
यादगार पल मोहयाल आश्रम हरिद्वार में बिताए जो आतिथि देवों भव: के मूल मंत्र को साकार करतें हैं का अनुभव हुआ और मोहयाल रत्न ओपी मोहन जी से मिलना उनका मिला आर्शीवाद आजीवन भर याद रहेगा ।
जालंधर के चंद्रमोहन बख्शी, यतिन बख्शी, चितरंजन बख्शी, शिव कुमार शर्मा, और यमुनानगर से स्नेह दत्ता, कुबेर दत्ता एवं मध्य में मोहयाल रत्न ओपी मोहन जी।
मोहयाल आश्रम के साधना केंद्र एवं मंदिर की शानदार तस्वीर